Sanskar Sarita (Hindi)
संस्कार सरिता (हिन्दी)
जीवन में संस्कार से बढ़कर कोई धन नहीं है । धर्म व सत्संस्कारों से ही मानव ‘मानव’ बनता है । बालक तो गीली मिट्टी जैसे होते हैं, उन्हें जैसा बनाना चाहें बना सकते हैं । सत्संग तारता है और कुसंग डुबोता है इसलिए सदैव सत्संग की पुस्तकें, गीता, भागवत, रामायण आदि ग्रंथ पढ़ने चाहिए । बालकों के हृदय एवं मस्तिष्क में आरम्भ से विद्याध्ययन तथा बड़ों के प्रति शिष्टाचार, सदाचार, धर्म एवं ईश्वर की महत्ता के संस्कार भरने आवश्यक हैं । इससे उनके जीवन में दैवी गुणों का उदय होगा और उन्हें जीवन को महान बनाने की दिशा में चलने की प्रेरणा मिलेगी । मधुर भाषण, बड़ों का आदर, आज्ञापालन, परोपकार, सत्यभाषण एवं सदाचार आदि दैवी सम्पदावाले सद्गुण बच्चों में विकसित हों, लौकिक विद्या के साथ-साथ उनको चरित्र-निर्माण तथा आदर्श मानव बनने के संस्कार मिलें - इस हेतु को ध्यान में रखकर ‘संस्कार सरिता’ पुस्तक का निर्माण किया गया है ।
इसमें है :
* सर्वशक्तिमान ईश्वर की प्रार्थना : धन्यवाद प्रभु का किया करें...
* गणेशजी, माँ सरस्वतीजी व सद्गुरुदेव की वंदना-प्रार्थना
* अच्छे बालक की पहचान
* मीठी वाणी बोलिये, सबके हृदय में अमृत घोलिये
* लाल बहादुर शास्त्रीजी का बचपन का प्रेरक-प्रसंग
* अंकों से अद्भुत ज्ञान, जानें बच्चे बनें महान
* ब्रह्मज्ञानी महापुरुषों से अमृतमयी आत्मदृष्टि पायें
* आरुणि की गुरुसेवा
* महापुरुषों को पहचानो
* एक बालक की कहानी, संत बनकर जिन्होंने दी समाज को सही जिंदगानी
* गुरु नानकदेवजी की भक्ति का प्रारम्भ बाल्यकाल से ही हुआ
* पूज्य संत श्री आशारामजी बापू के सद्गुरुदेव साँईं श्री लीलाशाहजी महाराज का दिव्य जीवन-परिचय (काव्य)
* धन्य हैं बापूजी की प्रेरणा से संचालित ‘बाल संस्कार केन्द्र’ ! (अनुभव)
* जन्मदिवस तुम ऐसा मनाओ... (कविता)
* यह है भारतीय संस्कृति की गरिमा
* ऐसे मनायें दिवाली, रहे हर दिल में खुशहाली
* संग का प्रभाव
* हँसते-खेलते पायें ज्ञान - खेल, साखियाँ, चुटकुले, पहेलियाँ
* ...तो बच्चे बनेंगे बलवान
* क्या करें, क्या न करें ?
* आओ करें योग, रहें स्वस्थ, मस्त, निरोग
* बुराइयों से बचने एवं सदाचरण पर चलने की शक्ति देती है - ईश्वर उपासना