Aatmagunjan (Urdu)

Aatmagunjan (Hindi)

" आत्मगुंजन "  राग-द्वेष, स्वार्थ, भेदबुद्धि, अहंकार आदि इस प्रकार के अन्य जिन-जिन कारणों से मनुष्य बंधन में पड़कर चौरासी के चक्कर में भटकता है उनसे बचकर कैसे मुक्तात्मा हो सकता है,

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