योगी हो या भोगी, सबको संयम की आवश्यकता होगी।
विभिन्न सामवियकों और समाचार पत्रों में तथाकथित पाश्चात्य मनोविज्ञान से प्रभावित मनोचिकित्सक और 'सेक्सेलोजिस्ट' युवा छात्र-छात्राओं को चरित्र-संयम और नैतिकता से भ्रष्ट करने पर तुले हैं।
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योगी हो या भोगी, सबको संयम की आवश्यकता होगी।
विभिन्न सामवियकों और समाचार पत्रों में तथाकथित पाश्चात्य मनोविज्ञान से प्रभावित मनोचिकित्सक और 'सेक्सेलोजिस्ट' युवा छात्र-छात्राओं को चरित्र-संयम और नैतिकता से भ्रष्ट करने पर तुले हैं।
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दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे रोगों से बचने तथा उनके निवारण हेतु बिना खर्च, बिना किसी हानि के शरीर को स्वस्थ, मन को प्रसन्न और बुद्धि को निर्मल व कुशाग्र बनाने हेतु योगविद्या का आश्रय लेना बहुत ही हितकारी है । आसन शरीर के समुचित विकास के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होते हैं । वर्तमान युग के लोगों के लिए जो अति उपयोगी हैं और कम समय में अधिक लाभ पहुँचाते हैं ऐसे आसन - चित्र, विधि, सावधानियाँ, लाभ आदि के साथ इस ‘योगासन’ पुस्तक में दिये गये हैं ।
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तुलसी सम्पूर्ण धरा के लिए वरदान है, अत्यंत उपयोगी औषधि है, मात्र इतना ही नहीं, यह तो मानव-जीवन के लिए अमृत है ! तुलसी की महत्ता जन-जन तक पहुँच सके और लोग इसका लाभ ले सकें - इस उद्देश्य से पूज्य संत श्री आशारामजी बापू की प्रेरणा व विश्वमांगल्य की दृष्टि से ‘तुलसी रहस्य’ पुस्तक बनाने का प्रयास किया गया है । सत्शास्त्रों तथा पूज्य बापूजी के संदेशों व कुंजियों से संकलित इस पुस्तक में आप पायेंगे
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जैसे भवन का स्थायित्व एवं सुदृढ़ता नींव पर निर्भर है वैसे ही देश का भविष्य विद्यार्थियों पर निर्भर है । विद्यार्थी एक नन्हे-से कोमल पौधे की तरह होता है । यदि उसे उत्तम शिक्षा-दीक्षा मिले तो वही नन्हा-सा कोमल पौधा भविष्य में विशाल वृक्ष बनकर पल्लवित और पुष्पित होता हुआ समाजरूपी चमन को महका सकता है । लेकिन यह तभी सम्भव है जब उसे कोई योग्य मार्गदर्शक मिल जाय, कोई समर्थ गुरु मिल जायें और वह दृढ़ता तथा तत्परता से उनके उपदिष्ट मार्ग का अनुसरण कर ले ।
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गाय की महत्ता व वर्तमान समय में आवश्यकता, सुखी व स्वस्थ जीवन के लिए गाय से कैसे लाभ लें, सामान्य-से-सामान्य व्यक्ति की आर्थिक स्थिति कैसे सुधरे, गाय अर्थतंत्र की रीढ़ कैसे है ? आदि विभिन्न पहलुओं पर इस पुस्तक में प्रकाश डाला गया है । हम व्यक्तिगत स्तर पर गौरक्षा व गौ-पालन में किस प्रकार योगदान देकर अपना जीवन स्वस्थ, समृद्ध और उन्नत कर देश व संस्कृति की सेवा कर सकते हैं यह बात भी इस साहित्य में भलीभाँति बतायी गयी है ।
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माहात्म्य - श्लोक - अनुवाद
गीता मेरा हृदय है। गीता मेरा उत्तम सार है। गीता मेरा अविनाशी ज्ञान है। गीता मेरा श्रेष्ठ निवासस्थान है। गीता मेरा परम पद है। गीता मेरा परम रहस्य है। गीता मेरा परम गुरु है।
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माहात्म्य - श्लोक - अनुवाद
गीता मेरा हृदय है। गीता मेरा उत्तम सार है। गीता मेरा अविनाशी ज्ञान है। गीता मेरा श्रेष्ठ निवासस्थान है। गीता मेरा परम पद है। गीता मेरा परम रहस्य है। गीता मेरा परम गुरु है।
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