यौवन सुरक्षा (बांगला)
योगी हो या भोगी, सबको संयम की आवश्यकता होगी।
विभिन्न सामवियकों और समाचार पत्रों में तथाकथित पाश्चात्य मनोविज्ञान से प्रभावित मनोचिकित्सक और 'सेक्सेलोजिस्ट' युवा छात्र-छात्राओं को चरित्र-संयम और नैतिकता से भ्रष्ट करने पर तुले हैं।
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तू गुलाब होकर महक (बांगला)
जैसे भवन का स्थायित्व एवं सुदृढ़ता नींव पर निर्भर है वैसे ही देश का भविष्य विद्यार्थियों पर निर्भर है । विद्यार्थी एक नन्हे-से कोमल पौधे की तरह होता है । यदि उसे उत्तम शिक्षा-दीक्षा मिले तो वही नन्हा-सा कोमल पौधा भविष्य में विशाल वृक्ष बनकर पल्लवित और पुष्पित होता हुआ समाजरूपी चमन को महका सकता है । लेकिन यह तभी सम्भव है जब उसे कोई योग्य मार्गदर्शक मिल जाय, कोई समर्थ गुरु मिल जायें और वह दृढ़ता तथा तत्परता से उनके उपदिष्ट मार्ग का अनुसरण कर ले ।
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श्री नारायण स्तुति (बांगला)
श्रीमद्भागवत' के नवम स्कन्ध में भगवान स्वयं कहते हैं-
साध्वोहृदयं मह्यंसाधूनां हृदयं त्वहम्।
मदन्यत्ते नजानन्ति नाहंते भ्योमनागपि।।
अर्था त्मेरे प्रेमी भक्त तो मेरा हृदय हैं , और उन प्रेमी भक्तों का हृदय स्वयं मैं हूँ।वे मेरे अतिरिक्त और कुछ नहीं जानते तथा मैं उनके अतिरिक्त और कुछ भी नहीं जानता।
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श्री कृष्ण जन्माष्टमी (बांगला)
प्रेरक प्रसंग (बांगला)
सत्प्रसंगों की ऐसी महिमा है कि उन्हें पढ़ते-सुनते उनमें रुचि पैदा होती है । धीरे-धीरे वह रुचि उनमें गुणबुद्धि रखने लगती है । फिर तो यह मार्ग सिद्धांत-सा बनकर मस्तिष्क में छा जाता है और हम वैसे ही बन जाते हैं । ऐसे परम पवित्र, जीवनोद्धारक प्रसंगों को आत्मनिष्ठ पूज्य संत श्री आशारामजी बापू की अमृतवाणी के माध्यम से आपके हृदय में उतारने का प्रयास है ‘महापुरुषों के प्रेरक-प्रसंग’ सद्ग्रंथ ।
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प्रभु परम प्रकाश की ओर ले चल (बांगला)
संसार का अज्ञान-अंधकार मिटाने के लिए जो अपने-आपको जलाकर प्रकाश देता है, संसार की आँधियाँ उस प्रकाश को बुझाने के लिए दौड़ पड़ती हैं । उसके बावजूद भी जैसे सूर्य अपना प्रकाश देने का स्वभाव नहीं छोड़ता वैसे ही संत भी करुणा और परहितपरायणता का स्वभाव नहीं छोड़ते हैं । दुष्ट लोगों द्वारा की जानेवाली टीका-टिप्पणियाँ, निंदा, कुप्रचार और अन्यायी व्यवहार की आँधियों को सहते हुए भी सतंजन किस प्रकार समाज के कल्याण में रत रहते हैं यह ‘प्रभु ! परम प्रकाश की ओर ले चल...’ नामक इस पुस्तक में प्रस्तुत किया गया है ।
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तुलसी रहस्य (बांगला)
तुलसी सम्पूर्ण धरा के लिए वरदान है, अत्यंत उपयोगी औषधि है, मात्र इतना ही नहीं, यह तो मानव-जीवन के लिए अमृत है ! तुलसी की महत्ता जन-जन तक पहुँच सके और लोग इसका लाभ ले सकें - इस उद्देश्य से पूज्य संत श्री आशारामजी बापू की प्रेरणा व विश्वमांगल्य की दृष्टि से ‘तुलसी रहस्य’ पुस्तक बनाने का प्रयास किया गया है । सत्शास्त्रों तथा पूज्य बापूजी के संदेशों व कुंजियों से संकलित इस पुस्तक में आप पायेंगे :
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श्री गुरु गीता (बांगला)
भगवान शंकर और पार्वतीजी के संवाद से प्रकट हुई ज्ञान-गंगा का संग्रह यह ‘गुरुगीता’रूपी अमृत कुम्भ है । इसमें वर्णित ज्ञान भवरोग निवारण के लिए अमोघ औषधि है । गुरुभक्तों के लिए यह परम अमृत है । गुरुगीता सर्व पाप को हरनेवाली और सर्व दारिद्र्य का नाश करनेवाली है । यह अकाल मृत्यु को रोकती है, सब संकटों का नाश करती है, नवग्रहों के भय को हरती है । इस गुरुगीता का पाठ करने से महाव्याधि दूर होती है, सर्व ऐश्वर्य और सिद्धियों की प्राप्ति होती है । नित्य पठनीय ‘श्रीगुरुगीता’ में है :
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संस्कार दर्शन (बांगला)
किसी भी घर, समाज अथवा देश की शान बुलंद करनी हो तो उसके बच्चों एवं विद्यार्थियों को स्वस्थ, सुयोग्य, संस्कारी एवं बुलंद बनाना चाहिए । इसी सूत्र को लक्षित कर संत श्री आशारामजी आश्रम द्वारा संचालित ‘बाल संस्कार केन्द्रों’ में बच्चों एवं विद्यार्थियों में किये जा रहे सुसंस्कार-सिंचन का दर्शन करानेवाली यह पुस्तक ‘संस्कार दर्शन’ विद्यार्थियों, अभिभावकों, शिक्षकों एवं बाल संस्कार केन्द्र के संचालकों - सभीके लिए ज्ञान का एक उत्तम खजाना है ।
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सदा दिवाली (बांगला)
हर व्यक्ति की चाह होती है सदा सुखी रहने की, सदा खुश रहने की । इस माँग की पूर्ति आत्मज्ञानी महापुरुषों के अमृत-उपदेश से ही सम्भव है । ‘सदा दिवाली’ पुस्तक में संत श्री आशारामजी बापू के अमृत-वचनों का संकलन है, जिनका आदरपूर्वक मनन कर आप भी अपने जीवन में हररोज दिवाली, हरक्षण दिवाली मना सकते हैं । इस सत्साहित्य में है :
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